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सोलर पैनल क्या है ? सोलर पैनल कैसे कार्य करता है ?

दोस्तों, आज के समय में हम जितने भी साधन उपयोग में लाते हैं।  उनमे से ज्यादेतर विद्युत् ऊर्जा से चलने वाले होते है। विद्युत् का उत्पादन कई तरीको से किया जाता है।  जिसमे से एक सौर ऊर्जा से बिजली बनाना भी है। इस पोस्ट में  माध्यम से आप यह जान पाएंगे की सूर्य के ऊर्जा को बिजली में कैसे बनाया है। जिसके लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप सोलर पैनल के बारे में भी नहीं जानते तो आपको इसके बारे में भी आपको पूरी जानकारी दूंगा कि सोलर पैनल क्या है ? सोलर पैनल कैसे कार्य करता है ? इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़े, और अंत में अपनी राय कमेंट में दे सकते हैं।


सोलर पैनल क्या है ?

सोलर पैनल सूर्य की ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करता है। इसे कई सारे सोलर सेल को संयोजित करके बनाया जाता है। पैनल में कई सारे छोटे छोटे सेल्स लगे रहते है। जो अर्धचालक प्रकार की धातुओं से बना होता है। जैसे - सिलिकॉन, जर्मेनियम इत्यादि।

 

सोलर सेल्स :

सोलर सेल्स, सोलर पैनल की छोटी इकाई है।  जैसा की हमने पहले ही बताया कि सोलर सेल अर्धचालक धातु का बना होता है। जिसमे सिलिकॉन धातु का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। सोलर सेल को फोटो-वोल्टाइक सेल भी कहा जाता है। 
सोलर सेल्स
सोलर सेल : wikimedia 

सोलर पैनल के कितने प्रकार है ?

सोलर पैनल के वैसे तो अलग अलग मापदंडो के आधार पर कई वर्गो में बांटा गया है।  परन्तु मुख्य रूप से इसके दो प्रकार हैं।
  1. Mono-crystalline (मोनो-क्रिस्टलाइन) 
  2. Poly-crystalline (पॉली-क्रिस्टलाइन)

Mono-crystalline (मोनो-क्रिस्टलाइन)

मोनो क्रिस्टलाइन सोलर पैनल को शुद्ध सिंगल सिलिकॉन क्रिस्टल का उपयोग करके बनाया जाता है। जिसकी पहचान इसके गाढ़े काले रंग की मदद से आसानी से की जा सकती है। चूँकि, इसे शुद्ध सिलिकॉन से बनाया जाता है, इसकी बिजली बनाने की दक्षता अधिक होती है। 


फायदा - यह पैनल कम सूर्य की रोशनी में भी बजली तैयार करने में सक्षम है, इसलिए इस तरह के पैनल का उपयोग पहाड़ी इलाको में ज्यादेतर की जाती है।

नुक्सान - शुद्ध सिलिकॉन के बने होने के कारण इसकी कीमत अधिक होता है।

Poly-crystalline (पॉली-क्रिस्टलाइन)

पॉली क्रिस्टलाइन सोलर पैनल में एक सिलिकॉन का उपयोग न करके कई अलग अलग क्रिस्टल को यूज़  किया जाता है। इसे बनाने के लिए सभी क्रिस्टल टुकड़े को पिघला कर एक स्कवायर मोल्ड की मदद से तैयार किया जाता है। जिसके कारण इस पैनल को बनाने में सिलिकॉन क्रिस्टल की बर्बादी नहीं होती है, और यही कारण है की इसकी कीमत मोनो क्रिस्टलाइन पैनल से कम होती है।

फायदा - इसे बनाने की लागत कम आती है, जिससे यह अपेक्षाकृत कम कीमत में मिल जाता है।
 
नुक्सान - इसमें शुद्ध सिलिकॉन क्रिस्टल नहीं होने के कारण इसकी एफिशन्सी कम होती है, जिसके कारण यह कम धुप या रौशनी में बिजली अच्छे से बिजली बनाने में सक्षम नहीं होता है।

सोलर पैनल कैसे कार्य करता है ?

सोलर पैनल कैसे कार्य करता है ?


जैसा कि हमने पहले ही जान लिया है कि सोलर पैनल सेमीकंडक्टर मटेरियल का बना होता है। यहां हमारे पास दो तरह के सेमीकंडक्टर होते हैं - p-type और n-type सेमीकंडक्टर। सोलर पैनल इन्ही दो तरह के सेमीकंडक्टर का उपयोग करके बनाये जाते हैं। साथ सबसे जरुरी चीज़, सूर्य की रोशनी जिसके बिना हमारा सोलर पैनल कोई काम का नहीं है। 

जैसे ही सूर्य की रोशनी सोलर पैनल पर पड़ना शुरू होती है, वैसे ही सूर्य से निकलने वाली फोटोन्स सोलर प्लेट के सेमीकंडक्टर में उपस्थित फ्री इलेक्ट्रॉन्स को एनर्जी देने लगते है।  जिसके फलस्वरुप इलेक्ट्रॉन्स नेगेटिव साइड से पॉजिटिव के ओर फ्लो करने लगते है। इन्ही इलेक्ट्रॉन्स के फ्लो को करंट कहा जाता है। अर्थात अब सोलर पैनल बिजली बनाना शुरू कर दिया है। 

जिसको हम बक-बूस्ट कनवर्टर को लगाकर inverter की मदद से इसके पावर को किसी बैटरी में स्टोर कर सकते है , ताकि जब सूर्य की उपस्थिति न हो तब इसी बैटरी में स्टोर पावर का यूज हम इलेक्ट्रिसिटी के रूप में कर सकते हैं।

सौर ऊर्जा के लाभ :

  • यह एक नवीकरणीय संसाधन है, अतः हम सूर्य की असीमित ऊर्जा का उपयोग बहुत अधिक समय तक कर सकते हैं। 
  • सोलर पैनल में कम मेंटनेंस की जरुरत होती है, तो इसका मेंटेनन्स कॉस्ट बहुत कम होता है। 
  • इसकी मदद से सुदूर स्थानों पर भी आसानी से बिजली पहुंचाया जा सकता है। 
  • अगर हम अपने घरो में बिजली के कनेक्शन के साथ सोलर एनर्जी का इस्तेमाल करते है, तो हम बिजली के मासिक खर्च में कमी ला सकते है।
  • और सबसे बड़ा लाभ तो यह है कि इससे किसी भी प्रकार का प्रदुषण नहीं होता है।

सौर ऊर्जा की कुछ कमी :

  • सोलर ऊर्जा का उपयोग वैसे स्थानो पर नहीं किया जा सकता है, जहां सूर्य की रौशनी पर्याप्त मात्रा में नहीं आती है। 
  • सोलर प्लांट को लगाने में काफी ज्यादा लागत लगती है।
  • साथ ही हमें सोलर प्लांट को लगाने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत पड़ती है। 
  • चूँकि सोलर पैनल सूर्य की रोशनी में ही बिजली बना सकते है, तो बरसात या ठंडी के मौसम में जब सूर्य अधिक समय बादलों या कोहरो में छिपा रहता है।  ऐसे में इससे बिजली बनाना संभव नहीं है।

यही कारण है की सोलर ऊर्जा के साथ साथ हमें बिजली उत्पादन के लिए अन्य माध्यमों का भी इस्तेमाल करना पड़ता है।

तो हमने सोलर पैनल क्या है? और यह कैसे कार्य करता है? के बारे में आसान शब्दों महत्वपूर्ण बातें बता दिया है। उम्मीद है आपको इस पोस्ट से नया सिखने को मिला होगा। पोस्ट के बारे में अपनी राय कमेंट में जरूर बताये। 

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